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लेखनी प्रतियोगिता–बिखरी किस्मत-19-Nov-2023

बिखरी किस्मत

खुदा ने ना जाने क्या किस्मत दी
साथी है पर प्यार नहीं 
दोस्त है पर दोस्ती नहीं 
सपने है मगर सच्चे नहीं
दिल टूट गया बिखर कर 
जब अपनो ने रुसवा कर दिया
वो मजबूर है 
हम मजबूर है
दोस्ती भी अधूरी है
दिल हार गए हम हो गए गमहीन
सपने देखना ही नियति है
हो चले हम मजबूर उनकी ना से
प्रभु सुने विनती संदेश उन तक पहुंचे
अपनो से चोटिल हो दिल मजबूर है
ईश्वर ने सजा दि इस जन्म में सच्चा दोस्त पाने की
अगर मिला तो परिस्थितियां विपरीत हो गईं
अब तो जीना है अपने हाल पर 
जब तक प्राण है इस जान में
हे प्रेरणामय दोस्त तू ना कर मलाल मेरे हाल पर
यह दोस्त कमी ना आने देगा कभी भी
प्रार्थना में तेरे लिए  मरते दम तक ।।

✍️विजय पोखरणा "अपयस"

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3 Comments

Gunjan Kamal

20-Nov-2023 05:29 PM

👏🏻👌

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Babita patel

19-Nov-2023 09:54 AM

👌

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KALPANA SINHA

19-Nov-2023 02:20 PM

बहुत खूब

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